तुम बदले तो मज़बूरिया थी,
हम बदले तो बेवफा हो गए!!
बेवफा कहने से पहले मेरी रग रग का खून निचोड़ लेना,
कतरे कतरे से वफ़ा ना मिले तो बेशक मुझे छोड़ देना।
तूने ही लगा दिया इलज़ाम-ए-बेवफाई,
मेरे पास तो चश्मदीद गवाह भी तु ही थी|
बेवफा कहने से पहले मेरी रग रग का खून निचोड़ लेना,
कतरे कतरे से वफ़ा ना मिले तो बेशक मुझे छोड़ देना।
जाते जाते उसने पलटकर सिर्फ इतना कहा मुझसे,
मेरी बेवफायी से ही मर जाओगे या मार के जाऊ!!
मेरी आँखों में बहने वाला ये आवारा सा आसूँ,
पूछ रहा है.. पलकों से तेरी बेवफाई की वजह|
धोखा देती है अक्सर मासूम चेहरे की चमक,
क्योंकि हर पत्थर हीरा नहीं होता।।
मुझे हराकर कोई मेरी जान भी ले जाए मुझे मंजुर है,
लेकिन धोखा देने वालों को मै दुबारा मौका नही देता|
यकीन नहीं होता फिर भी कर ही लेता हूँ,
जहाँ इतने हुए एक और फरेब हो जाने दो|
मुझे रुला कर सोना तो तेरी आदत बन गई है,
जिस दिन मेरी आँख ना खुली तुझे निंद से नफरत हो जायेगी|
जरूरत है मुझे नये नफरत करने वालाे की,
पुराने ताे अब मुझे चाहने लगे है।
मुझसे नफरत ही करनी है तो इरादे मजबूत रखना,
जरा से भी चुके तो महोब्बत हो जायेगी|
चेहरा बता रहा था कि मारा है भूख ने,
सब लोग कह रहे थे कि कुछ खा के मर गया।
मेरे साथ बैठ कर वक़्त भी रोया,
एक दिन बोला बन्दा तू ठीक है मैं ही ख़राब चल रहा हूँ|
किस मुँह से इल्ज़ाम लगाएं बारिश की बौछारों पर,
हमने ख़ुद तस्वीर बनाई थी मिट्टी की दीवारों पर!!

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