कहो तो थोड़ा वक्त भेज दूँ,
सुना है तुम्हें फुर्सत नहीं मुझसे मिलने की।
लोग कहते हें... वक्त किसी का गुलाम नही होता,
फिर क्युँ तेरी मुस्कुराहट पे ये थम सा जाता हे?
वक्त की यारी तो हर कोई करता है मेरे दोस्त,
मजा तो तब है जब वक्त बदल जाये पर यार ना बदले|
वो जिनके हाथ में.. हर वक्त छाले रहते हैं,
आबाद उन्हीं के दम पर.. महल वाले रहते हैं|
ज़िन्दगी ने मर्ज़ का क्या खूब इलाज सुझाया,
वक्त को दवा बताया, ख्वाहिशों से परहेज़ बताया|
बेवक्त बेवजह बेसबब सी बेरुखी तेरी,
फिर भी बेइंतहा तुझे चाहने की बेबसी मेरी!
आज धुन्ध बहुत है मेरे शहर में,
अपने दिखते नहीं और जो दिखते है वो अपने नहीं।
तू घडी भर के लिए मेरी नज़रो के सामने आजा,
एक मुद्द्त से मैंने खुद को आईने में नहीं देखा
फ़िक्र तो तेरी आज भी है,
बस .. जिक्र का हक नही रहा।
एक उमर बीत चली है तुझे चाहते हुए,
तू आज भी बेखबर है कल की तरह|
किसी ने कहा था महोब्बत फूल जैसी है,
कदम रुक गये आज जब फूलों को बाजार में बिकते देखा!
जो आज तेरे पास है वो हमेशा नहीं रहेगा,
कुछ दिन बाद तू आज जैसा नहीं रहेगा!!
मुझे तो आज पता चला कि मैं किस क़दर तनहा हूँ,
पीछे जब भी मुड़ कर देखूं तो मेरा साया भी मुँह फेर लेता है|
एक तो सुकुन और एक तुम,
कहाँ रहते हो आजकल मिलते ही नही|
यारों ख्वाबों मे कह देता हूँ .. जिनसे हर बात,
आज सामने आए तो.. अल्फाजो ने साथ छोड दिया मेरा!!

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