क्या लिखूँ, अपनी जिंदगी के बारे में दोस्तों,
वो लोग ही बिछड़ गए, जो जिंदगी हुआ करते थे|
घायल किया जब अपनो ने, तो गैरो से क्या गिला करना,
उठाये है खंजर जब अपनो ने, तो जिंदगी की तमन्ना क्या करना|
आराम से कट रही थी तो अच्छी थी जिंदगी,
तू कहाँ इन आँखों की बातों में आ गयी।
अजब मुकाम पे ठहरा हुआ है काफिला जिंदगी का,
सुकून ढूढनें चले थे, नींद ही गवा बैठे!!
खेल ताश का हो या जिंदगी का,
अपना इक्का तब ही दिखाना जब सामने बादशाह हो।
नहीं मांगता ऐ खुदा कि,जिंदगी सौ साल की दे,
दे भले चंद लम्हों की, लेकिन कमाल की दे|
जो लम्हा साथ हैं उसे जी भर के जी लेना,
कम्बख्त ये जिंदगी भरोसे के काबिल नहीं है।
मैंने अपने ख्वाहिशो को दिवार में चुनवा दिया,
खामखाँ जिंदगी में अनारकली बनके नाच रही थी!!
वो तो अपनी एक आदत को भी ना बदल सका,
जाने क्यूँ मैंने उसके लिए अपनी जिंदगी बदल डाली|
जो लम्हा साथ हैं, उसे जी भर के जी लेना,
कम्बख्त ये जिंदगी.. भरोसे के काबिल नहीं है|
जिंदगी के रूप में दो घूंट मिले,
इक तेरे इश्क का पी चुके हैं..दुसरा तेरी जुदाई का पी रहे हैं!
क्या क्या रंग दिखाती है जिंदगी क्या खूब इक्तेफ़ाक होता है,
प्यार में ऊम्र नहीँ होती पर हर ऊम्र में प्यार होता है!
बस यही दो मसले, जिंदगीभर ना हल हुए,
ना नींद पूरी हुई, ना ख्वाब मुकम्मल हुए!!!
तूफान भी आना जरुरी है जिंदगी में तब जा कर पता चलता है की,
कौन हाथ छुड़ा कर भागता है और कौन हाथ पकड़ कर|
जिंदगी के पन्ने कोरे ही अच्छे थे,
तूने सपनों की स्याही बिखेर कर दाग दाग कर दिया|
वो लोग ही बिछड़ गए, जो जिंदगी हुआ करते थे|
घायल किया जब अपनो ने, तो गैरो से क्या गिला करना,
उठाये है खंजर जब अपनो ने, तो जिंदगी की तमन्ना क्या करना|
आराम से कट रही थी तो अच्छी थी जिंदगी,
तू कहाँ इन आँखों की बातों में आ गयी।
अजब मुकाम पे ठहरा हुआ है काफिला जिंदगी का,
सुकून ढूढनें चले थे, नींद ही गवा बैठे!!
खेल ताश का हो या जिंदगी का,
अपना इक्का तब ही दिखाना जब सामने बादशाह हो।
नहीं मांगता ऐ खुदा कि,जिंदगी सौ साल की दे,
दे भले चंद लम्हों की, लेकिन कमाल की दे|
जो लम्हा साथ हैं उसे जी भर के जी लेना,
कम्बख्त ये जिंदगी भरोसे के काबिल नहीं है।
मैंने अपने ख्वाहिशो को दिवार में चुनवा दिया,
खामखाँ जिंदगी में अनारकली बनके नाच रही थी!!
वो तो अपनी एक आदत को भी ना बदल सका,
जाने क्यूँ मैंने उसके लिए अपनी जिंदगी बदल डाली|
जो लम्हा साथ हैं, उसे जी भर के जी लेना,
कम्बख्त ये जिंदगी.. भरोसे के काबिल नहीं है|
जिंदगी के रूप में दो घूंट मिले,
इक तेरे इश्क का पी चुके हैं..दुसरा तेरी जुदाई का पी रहे हैं!
क्या क्या रंग दिखाती है जिंदगी क्या खूब इक्तेफ़ाक होता है,
प्यार में ऊम्र नहीँ होती पर हर ऊम्र में प्यार होता है!
बस यही दो मसले, जिंदगीभर ना हल हुए,
ना नींद पूरी हुई, ना ख्वाब मुकम्मल हुए!!!
तूफान भी आना जरुरी है जिंदगी में तब जा कर पता चलता है की,
कौन हाथ छुड़ा कर भागता है और कौन हाथ पकड़ कर|
जिंदगी के पन्ने कोरे ही अच्छे थे,
तूने सपनों की स्याही बिखेर कर दाग दाग कर दिया|

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