तेरी यादें हर रोज़ आ जाती है मेरे पास,
लगता है तुमने बेवफ़ाई नही सिखाई इनको!!
मंजर भी बेनूर थे और फिजायें भी बेरंग थी,
बस तुम याद आए और मौसम सुहाना हो गया|
तुम दूर..बहुत दूर हो मुझसे.. ये तो जानता हूँ मैं,
पर तुमसे करीब मेरे कोई नही है.. बस ये बात तुम याद रखना|
अजीब सी बस्ती में ठिकाना है मेरा,
जहाँ लोग मिलते कम झांकते ज़्यादा है|
मजबूर नही करेंगे तुझे वादे निभानें के लिए,
बस एक बार आ जा, अपनी यादें वापस ले जाने के लिए|
तुझे पाना.. तुझे खोना.. तेरी ही याद मेँ रोना,
ये अगर इश्क है.. तो हम तनहा ही अच्छेँ हैँ!
तुमसे ऐसा भी क्या रिश्ता हे?
दर्द कोई भी हो.. याद तेरी ही आती हे।
बारिश और महोबत दोनों ही यादगार होते हे,
बारिश में जिस्म भीगता हैं और महोबत मैं आँखे|
एक तुम हो कि कुछ कहती नहीं,
एक तुम्हारी यादें हैं, कि चुप रहती नही|
मजबूर ना करेंगे तुझे वादे निभाने के लिए,
तू एक बार वापस आ अपनी यादें ले जाने के लिए|
तेरी याद से शुरू होती है मेरी हर सुबह,
फिर ये कैसे कह दूँ.. कि मेरा दिन खराब है!!
बड रहा है दर्द गम उस को भूला देने के बाद,
याद उसकी ओर आई खत जला देने के बाद!
जब जिन्दा थे तो बेबुनियाद आरोप लगाती रही,
जब कब्र में सोये तो ‘शख्स बडा लाजबाब था|
कुछ तो बात है तेरी फितरत में ऐ दोस्त,
वरना तुझ को याद करने की खता हम बार-बार न करते!
बंद कर दिए है हमने दरवाज़ें “इश्क” के,
पर तेरी याद हे की “दरारों” मे से भी आ जाती हैं|

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