यू तो अल्फाज नही हैं आज मेरे पास मेहफिल में सुनाने को,
खैर कोई बात नही, जख्मों को ही कुरेद देता हूँ।
बहुत कुछ खरीदकर भी.. बहुत कुछ बचा लेता था,
आज के जमाने से तो, वो बचपन का जमाना अच्छा था!!
जिसकी वजह से मेंने छोड़ी अपनी साँस,
आज वो ही आके पूछती हे किसकी हे ये लाश।
आज जिस्म मे जान है तो देखते नही हैं लोग,
जब ‘रूह’निकल जाएगी तो कफन हटाहटा कर देखेंगे लोग|
बड़े अजीब से हो गए रिश्ते आजकल,
सब फुरसत में हैं पर वक़्त किसी के पास नही|
ज़िन्दगी जोकर सी निकली,
कोई अपना भी नहीं.. कोई पराया भी नहीं|
कभी जो मुझे हक मिला अपनी तकदीर लिखने का,
कसम खुदा की तेरा नाम लिखुंगी और कलम तोड दुंगी|
तकलीफ़ मिट गई मगर एहसास रह गया,
ख़ुश हूँ कि कुछ न कुछ तो मेरे पास रह गया|
यू तो खुश है, जमाना मेरी शोहरत से,
मगर कुछ लोग हैं, जिनका दम निकलता हैं|
लफ़्ज़ों से बना इंसाँ लफ़्ज़ों ही में रहता है,
लफ़्ज़ों से सँवरता है लफ़्ज़ों से बिगड़ता है|
यू तो खुश है, जमाना मेरी शोहरत से,
मगर कुछ लोग हैं, जिनका दम निकलता हैं|
दीवानगी मे कुछ एसा कर जाएंगे,
महोब्बत की सारी हदे पार कर जाएंगे।
एक सिगरेट सी मिली तू मुझे,
ए आशिकी कश एक पल का लगाया था लत उम्र भर की लग गयी।
वो जब पास मेरे होगी तो शायद कयामत होगी,
अभी तो उसकी तस्वीर ने ही तवाही मचा रखी है|
तमन्नाओ की महफ़िल तो हर कोई सजाता है,
पूरी उसकी होती है जो तकदीर लेकर आता है|
खैर कोई बात नही, जख्मों को ही कुरेद देता हूँ।
बहुत कुछ खरीदकर भी.. बहुत कुछ बचा लेता था,
आज के जमाने से तो, वो बचपन का जमाना अच्छा था!!
जिसकी वजह से मेंने छोड़ी अपनी साँस,
आज वो ही आके पूछती हे किसकी हे ये लाश।
आज जिस्म मे जान है तो देखते नही हैं लोग,
जब ‘रूह’निकल जाएगी तो कफन हटाहटा कर देखेंगे लोग|
बड़े अजीब से हो गए रिश्ते आजकल,
सब फुरसत में हैं पर वक़्त किसी के पास नही|
ज़िन्दगी जोकर सी निकली,
कोई अपना भी नहीं.. कोई पराया भी नहीं|
कभी जो मुझे हक मिला अपनी तकदीर लिखने का,
कसम खुदा की तेरा नाम लिखुंगी और कलम तोड दुंगी|
तकलीफ़ मिट गई मगर एहसास रह गया,
ख़ुश हूँ कि कुछ न कुछ तो मेरे पास रह गया|
यू तो खुश है, जमाना मेरी शोहरत से,
मगर कुछ लोग हैं, जिनका दम निकलता हैं|
लफ़्ज़ों से बना इंसाँ लफ़्ज़ों ही में रहता है,
लफ़्ज़ों से सँवरता है लफ़्ज़ों से बिगड़ता है|
यू तो खुश है, जमाना मेरी शोहरत से,
मगर कुछ लोग हैं, जिनका दम निकलता हैं|
दीवानगी मे कुछ एसा कर जाएंगे,
महोब्बत की सारी हदे पार कर जाएंगे।
एक सिगरेट सी मिली तू मुझे,
ए आशिकी कश एक पल का लगाया था लत उम्र भर की लग गयी।
वो जब पास मेरे होगी तो शायद कयामत होगी,
अभी तो उसकी तस्वीर ने ही तवाही मचा रखी है|
तमन्नाओ की महफ़िल तो हर कोई सजाता है,
पूरी उसकी होती है जो तकदीर लेकर आता है|

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