उजालों में रह कर अंधेरा माँगता हूँ,
रात की चाँदनी से सवेरा माँगता हूँ,
दौलत शोहरत की नही ज़रूरत,
मैं तो हर सांस में तेरा बसेरा माँगता हूँ..
Ujaalon mein reh kar andhera mangta hoon,
Raat ki chandni se savera mangta hoon,
Daulat shohrat ki nahi zarurat,
Main to har sans mein tera basera mangta hoon..
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